Friday, October 24, 2008
हिन्दी उपन्यास मे संस्कृत रचनाकारों का जीवन वृत'हिन्दी उपन्यास में संस्कृत रचनाकारों का जीवन वृत` उपन्यासालोचन की दृस्टि से महत्वपूर्ण पुस्तक है । प्रस्तुत पुस्तक में डा० कलानाथ मिश्र ने संस्कृत साहित्कारांे के जीवन-वृत पर आधृत तीन उपन्यासों का आलोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है । संस्कृत के तीन अमर साहित्यकार वाणभट ,कालिदास ,कल्हण के जीवन-वृत पर तीन उपन्यास लिखे गये हैं । बाणभट की आत्मकथा पं० हजारी प्रसाद द्विवेदी जी की महान कृति है । बाणभट की जीवन वृत को केन्द्र मंे रखकर तत्कालीन आर्यावर्त की सांस्कृतिक चेतना ,आस्था , राजनितिक एवं सामाजिक स्थिति का द्विवेद्वी जी ने व्यापक चित्र अंकित किया है । महाकवि कालिदास के कवि व्यक्ितत्व को पोद्वार रामअवतार 'अरूण` ने अपने उपन्यास 'कालिदास की आत्मकथा` मंे प्रस्तुत किया है । इसी प्रकार कृष्णाभावुक ने महाकवि कल्हण के जीवन-वृघ पर हरा दर्पण उपन्यास की रचना की है। पुस्तक मंे उक्त तीनों उपन्यासों का गंभीरता पूर्वक व्यापक आलोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है । तथ्य परक दृष्टिसे जीवन वृत का अवलोकन अैार साहित्यिक संवेदनशीलता से औपन्यासिक कल्पना का मूल्यांकन, इन दोनों दायित्वों का निर्वाह करते हुए लेखक ने उक्त उपन्यासों का सूक्ष्म संतुलित एवं वैज्ञानिक विश्लेशण किया है । डा० मिश्र की पूर्व प्रकाशित पुस्तक ''हिन्दी उपन्यास में साहित्यकारों का चरित्र विधान '' की सफलता उन्हें उपन्यासलोचन के क्षेत्र मंे ख्याति दिला चुकी है । यह पुस्तक हिन्दी उपस्यासलोचन के क्षेत्र में एक नवीन प्रयास होने की दृृष्टि से मूल्यवान है । पुस्तक में लेखक ने इस बात का भी ध्यान रखा है कि साहित्यकारों के अज्ञात अथवा अल्पज्ञात जीवन वृघों के पुनर्निमान की प्रकिया में उनकी कालजयी कृतियों का भी विशेष स्थान है,जिनसे उनकी माहघा, आस्था तथा अस्मिता प्राय: पूर्णत: उद्भासित होती है। आलोच्य ग्रंथ के सम्बन्ध में दूसरा ज्वलन्त प्रश्न यह है कि उपन्यास कला की दृष्टि से विवेच्य उपन्यासों के रचयिताओं को कहाघ् तक सफलता प्राप्त हुईर है। इस प्रयास में लेखक का विवेचन, विश्लेषण संयत,संगत तथा स्वीकार्य है। ग्रंथ में इसका भी परीक्षण किया गसा है कि किस प्रकार विविध मूल्यों से उद्भासित और सम्पोषित होकर भी समकालीन उपन्यासकारों ने मानवतावाद के विशाल फलक पर विस्मृतप्राय जीवन्त चित्रों को एकत्र कर युगऱ्यथार्थ को प्रत्यक्ष कर दिया है औ इस कार्य में उन्हेें कहाघ् तक सफलता हाथ लगी है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment