Wednesday, November 12, 2008

पुस्त एक परिचय

प्रस्तुत पुस्तक आधुनिक बिहार के निर्माता डॉ० सच्चदानन्द सिन्हा द्वारा लिखित 'सम एमिनेन्ट बिहार कन्टेम्पोरारीज' का हिन्दी अनुवाद है। मूल पुस्तक १९४३ में प्रकाशित हुई थी और अपने समय के अत्यंत चर्चित रचनाओं मंे एक थी। इस पुस्तक में लगभग बीस ऐसे महापुरूषों के जीवन वृघ का रेखांकन है जिनका सिन्हा साहब से अंतरंग परिचय था। पुस्तक के अवलोकन के बाद पाठकों के मन में वर्णित व्यक्तियों की महानता और उपलब्धियों के अतिरिक्त एक अन्य आवृघ उभरती है और वह है सिन्हा साहब का अपना व्यक्तित्व, अपने जमाने पर जरिया और प्रतिभाओं का सूक्ष्म पूल्यांकन। यह पुस्तक उस बीते युग की गतिविधियों का जीवन्त चित्र प्रस्तुत करती है, जिसमें बिहार नींद से उठकर अंगड़ाई ले रहा था और वर्णित महापुरूष इस प्रघ्यिा में बहुमूल्य योगदान दे रहे थे। वस्तुत: यह पुस्तक अभिजात्य वर्ग के रचनात्मक कृतियों के चित्रण से अधिक उस युग का चित्रण है जिसमें बिहार का स्वतंत्र परिचय प्रस्फुटित हो रहा था। पुस्तक के प्रथम अध्याय में ही सिन्हा साहब ने बिहार को अलग प्रन्त बनाने में सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक प्रयासों का निरूपण किया है जिसे वर्घमान पीढ़ी भूल चुकी है। जीवनी लेखक का कार्य केवल व्यक्तित्व को ही विश्लेषित करना मात्र नहीं होता, अपितु उसके सम्पूर्ण रूप, संस्कार का तटस्थ भाव से चित्रित करना होता है। जीवन चरित्र प्राय: ऐसे व्यक्तित्व को स्मरणीय बनाने के लिए लिखा जाता है, जिसमें जनसामान्य को पगेरित करने की तथा समाज के उन्नयन का संदेया देने की शक्ति होती है। प्रस्तुत संकलन में डा० सिन्हा ने एक सम्पन्न एवं विविधतापूर्ण जीवन चरित्र-दीर्घा प्रस्तुत की है। डा० सिन्हा विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति थे। उनका कार्य क्षेत्र बहुमुखी था। विभिन्न रूपों में उन्होंने लोकसेवा की। विधि में, साहित्य मेंं, शिक्षा में उनका अपूल्य योगदान था। विधायक के रूप में, प्रशासक के रूप में, राजनीतिज्ञ के रूप में उनकी ख्याति हुई। सिन्हा लाइब्रेरी उनके पुस्तकानूराग का प्रतीक है। बिहार में पत्रकारिता के पुरोधा के रूप में उन्हें जाना जाता है। वह महामानव थे और अपने युग के दर्पण थे। मूल पुस्तक अब उपलब्ध नहींे है। हिन्दी रूपान्तर उस कमी को दूर करेगा अैार अधिक पाठकों तक पहघ्ुच सकेगा। डा० कलानाथ मिश्र ने कठिन परिश्रम और लगन से इस काम को पूरा किया है। अब जबकि बिहार का पुन: बंटवारा हो चुका है, इस पुस्तक का महत्व और भी बढ़ जाता है। आशा है पाठक इसे पसंद करेंगे और पूर्वजों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरणा ग्रहण करेंगे।